"ब्लैकआउट" से आप क्या समझते है और ये युद्ध के समय इतना जरूरी क्यों होता है?

 "ब्लैकआउट" 



हमलोग ये जानते है कि युद्ध कई स्तरों पे लड़ी जाती है। कभी सामने से लड़ाई की जाती है और कभी- कभी रणनीतिक रूप से लड़ाई की जाती है। 
इन्हीं सब के बीच एक तरीका "ब्लैकआउट" का होता है, जिससे कि हम दुश्मन देश को चकमा दे सकें और अपने देश पे होने वाले आक्रमण से कम से कम नुकसान पहुंचे ये कोशिश कर सकते है। दूसरी भाषा में ये भी हम बोल सकते है कि हम दुश्मन देश की आंखों में धूल झोंक कर खुद की सुरक्षा और भी अच्छे तरीके से कर सकते है। इसलिए युद्ध के समय "ब्लैकआउट" को सुरक्षा की पहली दीवार भी कहा जाता है।

ब्लैकआउट क्या होता है?



ब्लैकआउट, युद्ध शुरू होने की स्थिति में या युद्ध का जब खतरा किसी देश पे मंडराता है जिसमें हवाई हमला होने की प्रबल संभावना होती है तो उस स्थिति में दुश्मन देश द्वारा नीचे जमीन पे जो लाइट जलती रहती है वो आसानी से टारगेट बनाई जा सकती है। ऐसी स्थिति में किसी देश देश द्वारा जमीनी लाइट को पूर्ण रूप से बंद करवाना ही ब्लैकआउट कहलाता है, जिससे कि दुश्मन देश किसी भी प्रकार की जमीनी रोशनी को अपना टारगेट न बना सके। 
जमीनी रोशनी कहने का मतलब है- स्ट्रीट लाइट, कार की लाइट, घरों की लाइट, किसी फैक्ट्री की लाइट एवं अन्य प्रकार की लाइट।

ब्लैकआउट के नियम क्या-क्या हैं?


दुश्मन के इसी टारगेटिंग प्वाइंट को छुपाने के लिए या कहें तो इस खतरे से बचने के लिए जो जमीनी लाइटें है उनको कुछ सीमित समय के लिए बंद करने का आदेश सरकार पारित करती है। इसमें घरों की खिड़कियों को काले कपड़े से ढकना, कार की लाइटें को बंद कर देना या कार को काले कपड़े से पूर्ण रूप से ढक देना, स्ट्रीट लाइटों को कुछ सीमित समय के लिए बंद कर देना, किसी भी कारखाना को पूरी तरह से ढक देना शामिल होती है।

ब्लैकआउट क्यों जरूरी है?


ब्लैकआउट की आवश्यकता इसलिए है कि अंधेरे में दुश्मन को नीचे जमीन की हकीकत के बारे में जानकारी न मिल सके और वो अपने टारगेट को हिट न कर सकें। दुश्मन देश को अंधेरे में टारगेट हिट करने में बहुत तकलीफ हो सकती है और इससे जमीन पे जान माला का नुकसान बहुत कम किया जा सकता है। ब्लैकआउट की स्थिति में जमीन पे सरकार द्वारा चालू की गई गतिविधियों की भी जानकारी को सुरक्षित किया जा सकता है। इसलिए ब्लैकआउट की स्थिति में सरकार द्वारा नागरिकों को मानसिक रूप से सतर्क और सहयोगी बनाया जाता है।


अभी मॉकड्रिल और ब्लैकआउट की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई?


पहलगाम हमले के उपरांत भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न तनाव में कभी भी कुछ भी हो सकता है।ऐसी स्थिति में भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मॉकड्रिल और ब्लैकआउट का आदेश पारित किया है। इसी को मद्देनजर रखते हुए देश में 7th MAY , 2025 को पूरे देश में (244 district) मॉकड्रिल और ब्लैकआउट का आदेश पारित किया है। 
मॉकड्रिल को हम आसान भाषा में "नागरिक सुरक्षा अभ्यास" भी कह सकते है।इस अभ्यास को गांव तक करने को कहा गया है, जिससे कि इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को क्या- क्या करना है कि जानकारी प्राप्त हो सके।

इससे पहले देश में कब हुई है मॉकड्रिल?


अभी की स्थिति को मद्देनजर रखते हुए बहुत लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठ सकता है कि देश में क्या इससे पहले भी कभी मॉकड्रिल करवाया गया है या नहीं ?
तो इस सवाल का जवाब है कि "हा"(yes) इससे पहले भी देश में मॉकड्रिल करने के लिए सरकार द्वारा आदेश दिया गया था। वो समय था 1971 की लड़ाई का समय। जब भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई लड़ी गई थी और भारत ने उस लड़ाई में पाकिस्तान को बुरी तरह से हरा कर उसे दो टुकड़ों में बांट दिया था, एक पाकिस्तान और दूसरा पूर्वी पाकिस्तान जिसको आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते है। उस वक्त के दस्तावेजों के अनुसार उस मॉकड्रिल का नाम था "सिविल डिफेंस ब्लैकआउट प्रोटोकॉल"। ये आदेश उस समय के सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के दूरसंचारों द्वारा देशवासियों को बताया गया था जिसमें सबसे अहम भूमिका निभाई थी "ऑल इंडिया रेडियो" ने और विभिन्न प्रकार में समाचार पत्रों ने। 



ये देखने वाली बात है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान, भारत द्वारा की गई कारवाही से पूरी तरह बेचैन है और इस स्थिति में वो देश की आंतरिक शांति को भंग करने की पूरी कोशिश करेगा। इसलिए सरकार के साथ देश के नागरिकों को भी हर समय सजग और सुदृढ़ हो कर आने वाली सभी विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा, और ये मॉकड्रिल और ब्लैकआउट इसी तैयारी का हिस्सा है।



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